Tuesday, October 31, 2023

करवाचौथ

हार श्रंगार, बरत नेम, नाच गान कैसे तुझे रिझाऊं जी
करु लाख जतन पर बिन नाम रटे कैसे पी को पाऊं जी
भटकूं भीर में पीर में भूलूं लोक की सब बात जी
भटकूं मैं लोग लोक बावरी क्या रोज ढूँढन जाऊं जी
प्रीत मिले तो संताप मिटे हैं बस ये जानू मैं भोरी रे
आस लगाए अरदास निगोरी बस पी संग मिल जाऊं जी

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