क्यों दिखाए वो रास्ते जो लाये फासले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे
जो कभी ना मिले
क्यों नही सुनता तू वो सदा
आती जो आसमानो से
मुश्किल ही सही पर दिखाए वो रास्ते
जो मंज़िल को जा मिले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे
जो कभी ना मिले
इश्क़ तो नसीब है तिजारत तो नही
छीनने से मिले बस नफ़रतें
चाहते ना मिले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे
जो कभी ना मिले