Saturday, July 31, 2021

Geet

गुस्ताख़ दिल बुनता है क्यों दुश्वारियां
क्यों दिखाए वो रास्ते जो लाये फासले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे
जो कभी ना मिले

क्यों नही सुनता तू वो सदा 
आती जो आसमानो से
मुश्किल ही सही पर दिखाए वो रास्ते
जो मंज़िल को जा मिले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे 
जो कभी ना मिले

इश्क़ तो नसीब है तिजारत तो नही
छीनने से मिले बस नफ़रतें
चाहते ना मिले
क्यों फ़िर चले हुम् उन राहों पे 
जो कभी ना मिले

Monday, July 5, 2021

नशे में

छोड़ दे ए दिल उन राहों को जिन पे कभी जाना नही
रहें जो दिलकश है पुकार उनसे मगर कभी आना नही।
मेरी तलाश में भटकता होगा वी तो दर-ब-दर

वो सितारा है किसी और चांद का
ईद मेरे घर में मनना कभी उसे आना नही