Wednesday, November 2, 2022

just free time

तुम एक ख्वाब हो फिर भी भूल पाता नही
मश्कत से पूजा से ध्यान से भूलने को आंख बंद करता हूँ और तुम सामने आजाती हो

थोड़ी सी बेरुखी नाराज़गी मोहोबत का रिवाज है
लेकिन रिवाज़ ही बेरुखी ही हो तो क्या वो मोहोबत है