Monday, May 18, 2020

Attitude

बारहा तेरे पास आना तुझ को पाने की गुज़ारिश करना
 तरकीब ये मुसलसल करता जो तू थोड़ा भी ख़ुदा होता।
वो गुलाब आज भी किताबों ने सुर्ख रखे हैं
जो कहानी तेरे इकरार की सुनते हैं

मेरी मोहोबत तेरे होटों पे तबसुम सी लरजती है
क्या तेरे इश्क़ का कोई रास्ता मुझ तक भी आता है

इश्क़ में सोच समझ गुना भाग नही तोता
तोल के होती है तिजारत प्यार बे हिसाब होता है।

Kuch rog dawa se lagte hai
Kuch log dua se lagte hain
Hasna rona sab bemani ho jata hai
Jab aap humare kareeb lagte hain

Thursday, May 14, 2020

jara thar jaa

 वक़्त कहता है जरा ठहरजा बहुत कुछ है अभी मेरे दामन में।
कैसे हो एतबार मेरी उम्रे जुरेज़ा को के वो सुर्ख लम्हे ही नही आब मेरे दामन  में ।।

Some random sher

इसी कूचे में कई उसके शनासा भी तो हैं
वि किसी और से मिलने के बहाने आए । 

सर रख के सोने को माँ की ना गोद ढूंढ पाया

थक कर ग़मो से दुनिया मे खुद को जो तनहा पाया
सर रख के सोने को माँ की ना गोद ढूंढ पाया

थी उम्र भी नादाँ और थे कई हाथ भी सर पर
सरपरस्तों की इस भीड़ में तेरी ममता ना ढूंढ पाया

बोझ जनाजे का तेरे बढ़ता ही गया वक़्त  के साथ
तुझ को पाने का कोई वसीला ना ढूंढ पाया

उम्र से पहले एक उम्र जी चूका हूँ  मैं
अटखेलियाँ करने को आँचल तेरा ना ढूंढ पाया

हर रिश्ता वहम हर चेहरा मुखौटा सब झूठ है यहाँ
सच थी तो केवल माँ तुझसा आइना ना ढूंढ पाया

मिन्नत-ओ-सज़दे इबादत से पालूं खुदा भी मैं
पाने का तुझे है कौन वो जतन चाहके भी ना ढूंढ पाया

रोशो-ग़ुबार मेरे रुक जाते हैं बस कलम तक

रोशो-ग़ुबार मेरे रुक जाते हैं बस कलम तक 
कतरा भर  गुनाह पर चीर देती है दुनिया जिगर अपना 

हर ठोकर पर सोचा करू सलूक दुनिया से दुनिया बन कर 
पर इंसान बन जाता हूँ आता है जब भी वक़्त अपना 

माना नहीं है कोई तिलिस्म शोख-ओ-हुनर मुझमें 
उमीदे-दुनिया को लाऊँ कहाँ से हर शय का खजाना अपना 


25/05/1996 

खुद से जो फुर्सत मिल जाय (1995)

खुद से जो फुर्सत मिल जाय
औरों से बातें कर फिर देखेंगे

आपने चाक जिगर सीलें हम
औरो के जिरेबां फिर देखेंगे

आजाये तब्सुम अपने होंठों पर
औरों की रहे हँसी फिर देखेंगे


1995