तरकीब ये मुसलसल करता जो तू थोड़ा भी ख़ुदा होता।
वो गुलाब आज भी किताबों ने सुर्ख रखे हैं
जो कहानी तेरे इकरार की सुनते हैं
मेरी मोहोबत तेरे होटों पे तबसुम सी लरजती है
क्या तेरे इश्क़ का कोई रास्ता मुझ तक भी आता है
इश्क़ में सोच समझ गुना भाग नही तोता
तोल के होती है तिजारत प्यार बे हिसाब होता है।
Kuch rog dawa se lagte hai
Kuch log dua se lagte hain
Hasna rona sab bemani ho jata hai
Jab aap humare kareeb lagte hain