Monday, March 23, 2020

Zindagi

ऐसी है या वैसी है जैसी भी है जिंदगी
बैठने से कुछ नही, जीत लो तो एक रुबाई ज़िन्दगी।।
चलूँ या रुकूँ इस डगर या उस डगर
हार में भी जीत का जुनून ज़िन्दगी
 मोहलतेें  कम या ज़्यादा, आस या पास
इंसान से भगवान का जुगाड़ ज़िन्दगी

Son & Daughter

कल की पूँजी मान के किसी और के हिस्से का ना बंटा तुमको
तुम्हारी परवाज़ में शायद घोंसला हो न हो कल मेरे लिए।।

वो डांट, नाराज़गी, तलखियत, संमझाइशे सब तुम्हारे लिए
वो खिलौनो सी मुरते, मोहोबत जो तुम से की बस मेरे लिए।

कल किसी और कि हो जाओगी ये जान के भी बेइंतेहं मोहोबत लुटाई मैने
वो अटखेलियां, शरारते, पापा कह के सीने से लग जाना, ये यादें बस मेरे लिए।।

अफसोस के एहसास, में नही जानता कैसे कल याद आऊंगा तुम्हे, 
मेरा सरमाया, उल्लास, आस, उम्मीद,काबिल, माहिर तुम ये सब बस मेरे लिए।।